सुदूर देश ऑस्ट्रेलिया में अमर कवि अयोध्यासिंह उपाध्याय”हरिऔध” की लेखन-शैली के अतुल्य योगदान पर उनकी तीसरी व चौथी पीढ़ी द्वारा “स्मृति-आयोजन”।
चन्द्रकान्त पाराशर (शिमला हिल्स) , एडीटर-ICN हिंदी
नई दिल्ली : सुदूर देश ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में खड़ीबोली हिन्दी में पहला महाकाव्य “प्रिय प्रवास” लिखने वाले अमर कवि अयोध्यासिंह उपाध्याय”हरिऔध” की तीसरी व चौथी पीढ़ी क्रमशः उनकी पौत्री आशा शर्मा व प्रपौत्री अपर्णा वत्स द्वारा “विश्व हिन्दी दिवस” के अवसर पर दिनांक 10 जनवरी को “हरिऔध स्मृति अंतरराष्ट्रीय काव्य विमर्श व कवि सम्मेलन” उनकी लेखन-शैली के अतुल्य योगदान को केन्द्र में रखकर पुनीत व पावन कार्यक्रम का ज़ूम आभासी माध्यम द्वारा आयोजन किया जा रहा है जिसमें देश-विदेश के गणमान्य साहित्य-सेवी व प्रेमी अपनी अपनी सहभागिता प्रदान करेंगे ।
हरिऔध जी ने “प्रिय प्रवास’ महाकाव्य के अलावा ‘पारिजात’ और ‘वैदेही वनवास’ शीर्षक से दो प्रबंध काव्य लिखे. इसके अलावा ‘प्रद्युम्न विजय’ और ‘रुक्मिणी परिणय’ जैसी नाट्यकृति भी लिखी. इसके अलावा ‘प्रेमकांता’, ‘ठेठ हिंदी का ठाठ’ और ‘अधखिला फूल’ नामक उपन्यास भी लिखा. जैसे मुंशी प्रेमचंद उपन्यास सम्राट कहे जाते हैं, जयशंकर प्रसाद नाटक सम्राट कहे जाते हैं वैसे ही हरिऔध अपने प्रशंसकों द्वारा ‘कवि सम्राट’ कहे जाते हैं।
इस आयोजन में पद्मश्री लीलाधर जगूडी, ओम निश्चल,श्री भगवान शर्मा-अध्यक्ष अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति,विजय सिंह सिडनी,बीना शर्मा – निदेशक केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, सरीखे सुधि विद्वत्जनों का वैचारिक सानिध्य प्राप्त होगा ।
आधुनिक समय में एकांगी से होते जा रहे पारिवारिक ताने-बाने में टूटते मृतप्रायः हो रहे जीवन-मूल्यों की पुनः प्राण-प्रतिष्ठा करने में महाकवि की अपनी तीसरी व चौथी पीढ़ी द्वारा मनाया जाने वाला यह कार्यक्रम निश्चित रूप से एक बड़ी व निर्णायक भूमिका का निर्वाह करता हुआ प्रतीत होगा ऐसी आशा है।